Lockdown Impact On Ganga Water

जंहा आधी से ज्यदा दुनिया लॉक डाउन मे है वही प्रकृति को भी थोड़ा सा समय मिला है खुली हवा मे साँस लेने का क्यूकी हम इंसानो ने प्राकृतिक संसाधनों का इतना दोहन किया है की प्रकृति को भी आराम की दरकार थी। लेकिन अब कोरोना की वजह से प्रकृति को भी थोड़ा सा वक्त मिल गया है। 

लॉक डाउन के पॉजिटिव इफेक्ट्स मे से एक ये भी है की जिस गंगा के पानी को शुध्द करने की कोशिश सरकारे सालो से करती रही उसे मात्र 2 महीने के लॉक डाउन ने इतना शुध्द कर दिया है की जो गंगा का पानी लॉक डाउन से पहले नहाने लायक भी नही था उसे अब पी भी सकते है। 

 और ये कोई मेरे खुद का पर्सनल डाटा नही है अभी हाल ही मे उत्तराखण्ड पोल्यूशन बोर्ड ने हरिद्वार और ऋषिकेश मे गंगा जल के सैंपल लिए थे और जब सैंपल की रिपोर्ट आयी तो वो बहुत ही चौकने वाली थी क्यूकी सन् 2000 मे उत्तराखण्ड राज्य के बनने के बढ़ ये पहला मौका है जब गंगा नदी का पानी पीने लायक हुआ है।

आखिर मे इतना ही कहना चाहूंगा की अगर इंसान अपनी जरूरतों को काबु मे रखना सिख ले तो हमे प्रकृति संरक्षण के नाम पे करोड़ो रुपये खर्च करने की जरूरत नही पड़ेगी क्यूकी प्रकृति को अपना ध्यान रखना आता है।। 



As half of the world is in lock down, nature also got a little time to breathe in the open air because we humans have exploited the natural resources so much that nature also needed rest. But now, due to corona, nature has also got a little time.

One of the positive effects of lock down is that the government has been trying to purify water of Ganges for years but the lock down of just 2 months has made it so pure that the water of river ganga can be drink now which was not even bathing before lock down.

And above mentioned statement is based on recents reports by Uttarakhand Pollution Board which had taken samples of Ganga river water in Haridwar and Rishikesh and when the report of the sample came, it was very shocking because it was the first time after formation of Uttarakhand state in 2000 when water of Ganga river has become drinkable.

 In End would like to say that if we human learns how to keep our needs under control, then we will not have to spend crores of rupees in the name of conservation of nature, because nature knows how to take care of itself.


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